This is first time I have used Hindi font. I had some feelings which transcended in a poem.Note that I don’t support any political party.
सफाई
बरसो से कई मैल जमे हैं
चलो करे हम आज सफाई ,
फेक के चादर भेद – भाव का
चलो करे हम आज सफाई ।
रिश्वतखोर लुचक्कों की
करनी होगी बड़ी धुनाई ,
पैसा उनको एक ना देंगे
मिठी अपनी गाढी कमाई।
घर में अपने चोर छिपे हैं
उनको पाठ पढानी होगी ,
सारा चारा खा गये हैं वो
अब रुकना नादानी होगी ।
लोकपाल को रोकने खातिर
वो करते बड़ा तमाशा हैं,
देश के नेताओं की देखो
कितनी गन्दी भाषा है ।
फुंक फुंक के चलना होगा
अब हमको ही कुछ करना होगा ,
नहीं रुकेंगे अब हम भाई
चलो करे हम आज सफाई |
किशोर भारती
०४ मार्च , २०१४
IISER Mohali